उत्तराखंड को 18 हजार करोड़ की सौगात, जानिए उन योजनाओं के बारे में

उत्तराखंड को 18 हजार करोड़ की सौगात, जानिए उन योजनाओं के बारे में

उत्तराखंड को 18 हजार करोड़ की सौगात

उत्तराखंड को 18 हजार करोड़ की सौगात, जानिए उन योजनाओं के बारे में

देहरादून। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को विजय संकल्प रैली में 18 हजार करोड़ की योजनाओं का शिलान्यास व लोकार्पण करने के साथ ही आगामी विधानसभा चुनाव का शंखनाद किया। उन्होंने विकास के मुद्दे पर कांग्रेस का नाम लिए बगैर विपक्ष पर जोरदार निशाना साधा और कहा कि जो देश में बिखर रहे हैं, वे उत्तराखंड को नहीं निखार सकते। भाजपा से पहले केंद्र में सत्तारुढ़ कांग्रेस के दस साल के कार्यकाल की तुलना में अपनी सरकार के सात साल के कार्यकाल में हुए कार्यों का उल्लेख करते हुए आंकड़ों और तथ्यों के साथ राजनीतिक प्रहार किए।

पीएम ने कहा कि आजादी के इस अमृतकाल में देश ने प्रगति की जो रफ्तार पकड़ी है, वह न रुकेगी न थकेगी, बल्कि और अधिक विश्वास और संकल्प के साथ तेजी से आगे बढ़ेगी। प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड के विकास के लिए डबल इंजन के महत्व को भी रेखांकित किया और विश्वास व्यक्त किया कि डबल इंजन यहां तेज गति से विकास करता रहेगा।

देहरादून के परेड मैदान में आयोजित रैली में प्रधानमंत्री मोदी पूरी तरह से राजनीतिक रंग में नजर आए। उन्होंने विकास के मुद्दे पर न केवल विपक्ष को निशाने पर लिया, बल्कि आंकड़े पेश कर उसकी कथनी व करनी के अंतर को भी समझाया। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन की शुरुआत गढ़वाली में करते हुए जनभावनाओं को छुआ। साथ ही केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा उत्तराखंड के लिए केंद्र स्वीकृत की गईं एक लाख करोड़ से अधिक की योजनाओं का जिक्र करते हुए डबल इंजन का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के विकास और इसे भव्य स्वरूप देना डबल इंजन की सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसी कड़ी में 18 हजार करोड़ की योजनाओं का लोकार्पण, शिलान्यास किया गया है। इनमें कनेक्टिविटी, स्वास्थ्य, संस्कृति, तीर्थाटन, बिजली, बच्चों के लिए चाइल्ड फ्रेंडली प्रोजेक्ट समेत सभी सेक्टर से जुड़े प्रोजेक्ट शामिल हैं। कहा कि जो लोग पूछते हैं कि डबल इंजन का फायदा क्या है, वे आज देख सकते हैं कि उत्तराखंड में कैसे विकास की गंगा बह रही है।

इन्फ्रास्ट्रक्चर के नाम पर घपले-घोटाले

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस शताब्दी की शुरुआत में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने देश में कनेक्टिविटी बढ़ाने का अभियान शुरू किया, लेकिन उनके बाद केंद्र में 10 साल ऐसी सरकार रही, जिसने देश और उत्तराखंड का बहुमूल्य समय व्यर्थ किया। इस दौरान देश में इन्फ्रास्ट्रक्चर के नाम पर घपले, घोटाले हुए। अपनों की तिजोरी भरी और अपनों का ही ख्याल रखा। इस नुकसान की भरपाई को हम दोगुनी गति से मेहनत की और कर रहे हैं। देश आज आधुनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर पर 100 लाख करोड़ से ज्यादा के निवेश के इरादे से आगे बढ़ रहा है। भारत की वर्तमान नीति गतिशक्ति की है। वर्षों अटकी रहने वाली योजनाओं को अब तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है। कनेक्टिविटी का यह महायज्ञ भविष्य के भारत को विकसित देशों की श्रृंखला में लाने में अहम भूमिका निभाएगा।

आश्रित नहीं आत्मनिर्भर बनाना लक्ष्य

प्रधानमंत्री ने कहा कि राजनीति में अनेक विकृतियां आ गई हैं। कुछ राजनीतिक दलों द्वारा समाज में भेद करके, सिर्फ एक तबके, चाहे वह अपनी जाति, धर्म या छोटे दायरे का हो, उसी पर ध्यान देने के प्रयास किए गए। उसी में इन दलों को वोट बैंक याद आता है। जनता को मजबूत न होने देना भी इन दलों की विकृतियों का एक रूप है। इनकी बराबर कोशिश रही कि जनता जनार्दन को मोहताज रखो, ताकि उनका ताज सलामत रहे। इस विकृति राजनीति का आधार रहा कि जनता की आवश्यकताओं को पूरा न करो और उन्हें आश्रित और मजबूर बनाकर रखो। सामान्य मानव का स्वाभिमान व गौरव सोची-समझी रणनीति के तहत कुचल दिया गया। उन्होंने कहा कि इसके उलट हमने नया रास्ता चुना है। वह मार्ग कठिन है, लेकिन देशहित में है। ये मार्ग है सबका साथ-सबका विकास। हमने वोट बैंक की राजनीति को आधार नहीं बनाया, बल्कि जन सेवा और राष्ट्र कल्याण को प्राथमिकता दी। ऐसी योजनाएं बनाई, जो वोटबैंक के तराजू में फिट न बैठें, मगर जनता का जीवन सरल बने और नए अवसर देने के साथ ही उसे ताकतवर बनाएं। हम जनता को आश्रित नहीं, आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं। इस कड़ी में उन्होंने खेतों के किनारे सोलर पैनल लगाकर किसानों को बिजली मुहैया कराने समेत अन्य योजनाओं का उल्लेख किया।

देवभूमि में हो रहा अभूतपूर्व काम

उन्होंने कहा कि देवभूमि में आधुनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर पर अभूतपूर्व काम हो रहा है। चारधाम आल वेदर रोड के विभिन्न कार्यों का लोकार्पण किया गया है। बदरीनाथ तक पहुंचने में लामबगड़ लैंडस्लाइड जोन की रुकावट दूर हुई है। गंगोत्री व यमुनोत्री धाम में भी आधारभूत सुविधाओं के विकास का काम शुरू हुआ है।

केदारनाथ है उत्कृष्ट उदाहरण

प्रधानमंत्री ने कहा कि बेहतर कनेक्टिविटी व सुविधाओं से पर्यटन,तीर्थाटन को कितना लाभ होता है केदारनाथ इसका उदाहरण है। वर्ष 2013 की आपदा से पहले 2012 में केदारनाथ में 5.70 लाख लोग आए थे, जो एक रिकार्ड था। कोरोनाकाल से पहले वर्ष 2019 में 10 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने केदारनाथ में दर्शन किए। पुनर्निर्माण कार्यों ने न सिर्फ श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ाई, बल्कि रोजगार-स्वरोजगार के अवसर भी उपलब्ध कराए। इसी तरह दिल्ली-देहरादून आर्थिक गलियारा बनने पर यह विकास के माडल का उत्कृष्ट उदाहरण बनेगा।

सात साल में दो हजार किमी एनएच

रोड कनेक्टिविटी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वर्ष 2007 से 2014 तक केंद्र में रही सरकार ने उत्तराखंड में केवल 288 किमी नेशनल हाईवे बनाए। इसके उलट हमने सात साल में दो हजार किमी से अधिक लंबाई के एनएच बनाए हैं। पूर्ववर्ती सरकार ने सात साल में यहां सड़कों पर छह सौ करोड़ खर्च किए, जबकि हमारी सरकार ने 12 हजार करोड़ से अधिक। उन्होंने कहा कि इन्फ्रास्ट्रक्चर के प्रोजेक्ट उत्तराखंड में रोजगार का नया ईको सिस्टम बन रहे हैं।

सुरक्षा के किले हैं देवभूमि के पहाड़

प्रधानमंत्री ने कहा कि देवभूमि के पहाड़ देश की सुरक्षा के भी किले हैं। यहां रहने वालों का जीवन सुगम बनाना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। दुर्भाग्य से दशकों तक जो सरकार में रहे, उनकी नीति और रणनीति में दूर-दूर तक ये चिंतन नहीं था। उनके लिए उत्तराखंड हो या देश के अन्य क्षेत्र, एक ही इरादा रहता था, अपनी तिजोरी व घर भरना। अपनों का ही ख्याल रखना। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड हमारे लिए तप और तपस्या का मार्ग है।

पहले की सरकारों ने किया निराश

प्रधानमंत्री ने कहा कि सीमांत क्षेत्रों के आधारभूत विकास पर पहले की सरकारों ने गंभीरता से काम नहीं किया। बार्डर पर सड़कें, पुल बनें, इस पर ध्यान नहीं दिया। वन रैंक-वन पेंशन हो, आधुनिक शस्त्र हो या आतंकवादियों को मुंहतोड़ जवाब देना हो, जैसे विषयों पर पूर्व की सरकारों ने सेना को निराश व हतोत्साहित किया। आज जो सरकार है, वह विश्व के किसी देश के दबाव में नहीं आ सकती। हमारे लिए राष्ट्र सर्वोपरि है। सीमांत क्षेत्रों में सैकड़ों किमी सड़कें बनाई गई हैं और ये कार्य तेजी से चल रहा है।

सूरत बदलती है और सीरत भी

उन्होंने कहा कि एक समय पहाड़ के लोग विकास की मुख्य धारा से जुडऩे का सपना ही देखते थे, मगर जब कुछ करने का जुनून हो तो सूरत बदलती है और सीरत भी। पहाड़वासियों का सपना पूरा करने को हम दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। इस कड़ी में उन्होंने जल जीवन मिशन का जिक्र करते हुए कहा कि आज साढ़े सात लाख से ज्यादा घरों में नल से जल पहुंच रहा है। इससे महिलाओं का कष्ट दूर हुआ है। उन्होंने स्वास्थ्य के क्षेत्र में हो रहे कार्यों का भी उल्लेख किया।

युवा पीढ़ी को भी कर रहे मजबूत

प्रधानमंत्री ने कहा कि नए मेडिकल कालेज, आइआइटी व आइआइएम जैसे संस्थान खोलने के साथ ही इनमें सीटों की संख्या बढ़ी है। इसके जरिये सरकार देश की वर्तमान व भावी पीढ़ी को सशक्त करने का काम कर रही है।

इन योजनाओं का हुआ लोकार्पण

-120 मेगावाट की व्यासी जलविद्युत परियोजना (लागत 1777 करोड़)

-आल वेदर रोड परियोजना में देवप्रयाग से श्रीकोट तक सड़क का चौड़ीकरण (257.34 करोड़)

-आल वेदर रोड परियोजना में ब्रह्मपुरी से कौडियाला तक चौड़ीकरण व डक्ट निर्माण (248.22 करोड़)

-आल वेदर रोड परियोजना के तहत लामबगड़ में भूस्खलन क्षेत्र का उपचार (107.68 करोड़)

-आल वेदर रोड परियोजना में साकनीधार, श्रीनगर व देवप्रयाग में भूस्खलन क्षेत्रों का उपचार (75.9 करोड़)

-हिमालयन कल्चर सेंटर (67 करोड़)

-स्टेट आफ आर्ट परफ्यूमरी एंड एरोमा लैबोरेट्री देहरादून (40 करोड़)

इन योजनाओं का हुआ शिलान्यास

-175 किमी लंबा दिल्ली-देहरादून आर्थिक गलियारा (8600 करोड़)

-दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेस-वे हरिद्वार, हलगोवा, बहादराबाद तक जुड़ाव (2082 करोड़)

-हरिद्वार रिंग रोड: मनोहरपुर से कांगड़ी (1602 करोड़)

-लक्ष्मणझूला के निकट सेतु निर्माण (69.263 करोड़)

-देहरादून-पांवटा साहिब (1695 करोड़)

-नजीबाबाद-कोटद्वार एनएच का चौड़ीकरण (86 करोड़)

-बदरीनाथ धाम में आधारभूत सुविधाओं का विकास (220 करोड़)

-गंगोत्री-यमुनोत्री धाम में आधारभूत सुविधाओं का विकास (54 करोड़)

-हरिद्वार मेडिकल कालेज (538 करोड़)

-देहरादून में जलापूर्ति, सड़क व ड्रेनेज सिस्टम (724 करोड़)

-चाइल्ड फ्रेंडली सिटी प्रोजेक्ट देहरादून (58 करोड़)